यशु जान
यशु जान (9 फरवरी 1994-)एक पंजाबी कवि और अंतर्राष्ट्रीय लेखक हैं। वे जालंधर शहर से हैं। उनका पैतृक गाँव चक साहबू अप्प्रा शहर के पास है। उनके पिता जी का नाम रणजीत राम और माता जसविंदर कौर हैं । उन्हें बचपन से ही कला से प्यार है। उनका शौक गीत, कविता और ग़ज़ल गाना है। वे विभिन्न विषयों पर खोज करना पसंद करते हैं। वे अपनी उपलब्धियों को अपनी पत्नी श्रीमती मृदुला के प्रमुख योगदान के रूप में स्वीकार करते हैं।उनकी कविताएं और रचनाएं बहुत रोचक और अलग होती हैं | उनकी अधिकतर रचनाएं पंजाबी और हिंदी में हैं और पंजाबी और पंजाबी और हिंदी की अंतर्राष्ट्रीय वेबसाइट पे हैं|
Yashu Jaan Poetry in Hindi
यशु जान हिन्दी कविता
1. जब ये दिल किसी की
लम्हा वो ज़िंदगी का भुलाना मुश्किल होता है,
जब ये दिल किसी की सूरत का आशिक होता है
जब ये दिल किसी की सूरत का आशिक होता है
हक़ीक़त भूल जाते हैं दिलों में डूबने वाले,
जो कोई अनजाना आकर हमसे वाक़िफ़ होता है,
जो कोई अनजाना आकर हमसे वाक़िफ़ होता है,
भूल जाते हैं सब रिश्ते सिर्फ़ उन्हें छोड़कर,
याद रखना उन्हीं को फिर मुनासिब होता है,
याद रखना उन्हीं को फिर मुनासिब होता है,
ज़ेहन में है यही आता नाम क़ातिल रख दें उनका,
हमें वो मारकर ज़िंदा ना ख़ुद ही क़ातिल होता है,
हमें वो मारकर ज़िंदा ना ख़ुद ही क़ातिल होता है,
वो फ़िर ख़ुश ना होते हैं ‘यशु’ की जान को लेकर,
मुनाफ़ा इस तरह का आशिक़ों को हासिल होता है,
मुनाफ़ा इस तरह का आशिक़ों को हासिल होता है,
2. ये किस कदर प्यार करते हैं
वो हमसे कैसा ये किस कदर प्यार करते हैं?
कि बार-बार मेरी मौत का इंतज़ार करते हैं
कि बार-बार मेरी मौत का इंतज़ार करते हैं
साज़िश रचते हैं हमें जब भी मारने की वो,
क्युं हमला करने से पहले होशियार करते हैं?
क्युं हमला करने से पहले होशियार करते हैं?
छुपाते हैं अपने इश्क़ को ज़माने से फिर भी,
दुनियां के सामने ही मेरे सीने पे वार करते हैं
दुनियां के सामने ही मेरे सीने पे वार करते हैं
खाकर चोट ख़ूब हसना अब आदत सी हो गई,
क्या कहें वो किस तरह की हदें पार करते हैं?
क्या कहें वो किस तरह की हदें पार करते हैं?
प्यार में आशिक़, दीवाने ही बता दूं यशु जान,
मरकर भी माशूक़ा पे ही जांनिसार करते हैं
मरकर भी माशूक़ा पे ही जांनिसार करते हैं
3. थक गया हूँ
थक गया हूँ मैं तेरे बहाने सुनकर,
अब ना ज़िंदा रह सकूंगा ताने सुनकर
मेरा दिल भी दिल ही है,
छोटी सी महफिल ही है,
इस दिल पे क्या बीती ना जाने सुनकर,
थक गया हूँ मैं तेरे बहाने सुनकर,
अब ना ज़िंदा रह सकूंगा ताने सुनकर
अब ना ज़िंदा रह सकूंगा ताने सुनकर
मेरा दिल भी दिल ही है,
छोटी सी महफिल ही है,
इस दिल पे क्या बीती ना जाने सुनकर,
थक गया हूँ मैं तेरे बहाने सुनकर,
अब ना ज़िंदा रह सकूंगा ताने सुनकर
हो गया सारा ग़ैर ज़माना,
बंद किया है आना जाना,
दुख होता है बंद पड़े हैं मैखाने सुनकर,
थक गया हूँ मैं तेरे बहाने सुनकर,
अब ना ज़िंदा रह सकूंगा ताने सुनकर
बंद किया है आना जाना,
दुख होता है बंद पड़े हैं मैखाने सुनकर,
थक गया हूँ मैं तेरे बहाने सुनकर,
अब ना ज़िंदा रह सकूंगा ताने सुनकर
तेरा सच या उनका झूठ,
ज़हर ही मिल जाये दो घूँट,
कैसे होगा उनकी बात ना मानें सुनकर,
थक गया हूँ मैं तेरे बहाने सुनकर,
अब ना ज़िंदा रह सकूंगा ताने सुनकर
ज़हर ही मिल जाये दो घूँट,
कैसे होगा उनकी बात ना मानें सुनकर,
थक गया हूँ मैं तेरे बहाने सुनकर,
अब ना ज़िंदा रह सकूंगा ताने सुनकर
अपने दिल दिमाग़ की मान,
हुआ बहुत अब यशु जान,
हम तो अब हैरान हैं उनके पैमाने सुनकर,
थक गया हूँ मैं तेरे बहाने सुनकर,
अब ना ज़िंदा रह सकूंगा ताने सुनकर
हुआ बहुत अब यशु जान,
हम तो अब हैरान हैं उनके पैमाने सुनकर,
थक गया हूँ मैं तेरे बहाने सुनकर,
अब ना ज़िंदा रह सकूंगा ताने सुनकर
भाग नंबर-1
चार अक्षर की शायरी Chaar Akshar Ki Shayri
मैंने बहुत बार देखा है उस खुदा को,
हुए माशूक से किसी आशिक जुदा को,
माना कि आशिकों को उसने दर्द ही दिए यशु,
मगर कबूल भी करता है सिर्फ आशिकों की दुआ को |
तूने मेरे जिस दिल को ठुकरा रखा है,
मैंने उसी दिल में तेरा आशियाना बसा रखा है,
दिल तो करता है मरकर समा जाऊं इसमें यशु,
पर तूने मेरी मौत को भी गुलाम बना रखा है |
मैं तेरे दिल में ना सही पर यादों में तो हूँ,
मैं तेरे लफ़्ज़ों में ना सही चल फरियादों में तो हूँ,
तुझसे दूर रहकर भी यशु तेरे इतना करीब हैं,
मैं तेरी हर बात में ना सही मगर वादों में तो हूँ |
सुन ख़ुदा इतनी मुहब्बत उनके साथ हो,
मौत मेरी हो और खंजर उनके हाथ हो,
'यशु' पहले मरे उनसे या बाद में 'जान'
सिर्फ इतना करना मेरी क़ब्र उनके पास हो |
मैं एक सूरज हूँ चढ़ता-ढलता रहूँगा,
सरकार कोई भी आये मैं यूँ ही चलता रहूँगा,
मेहनत करके ही कुछ मिलेगा किस्मत से ही नहीं,
राही हूँ मुश्किलों का 'यशु' गिरता-संभलता रहूँगा |
वो देखते रहे हमें अजनबी बनकर,
दिल में समा गए मेरी आशिक़ी बनकर,
छोड़ के चले हैं 'यशु' मौत की आगोश में अब,
कभी मिलते ते हमारी ज़िन्दगी बनकर |
हुए माशूक से किसी आशिक जुदा को,
माना कि आशिकों को उसने दर्द ही दिए यशु,
मगर कबूल भी करता है सिर्फ आशिकों की दुआ को |
तूने मेरे जिस दिल को ठुकरा रखा है,
मैंने उसी दिल में तेरा आशियाना बसा रखा है,
दिल तो करता है मरकर समा जाऊं इसमें यशु,
पर तूने मेरी मौत को भी गुलाम बना रखा है |
मैं तेरे दिल में ना सही पर यादों में तो हूँ,
मैं तेरे लफ़्ज़ों में ना सही चल फरियादों में तो हूँ,
तुझसे दूर रहकर भी यशु तेरे इतना करीब हैं,
मैं तेरी हर बात में ना सही मगर वादों में तो हूँ |
सुन ख़ुदा इतनी मुहब्बत उनके साथ हो,
मौत मेरी हो और खंजर उनके हाथ हो,
'यशु' पहले मरे उनसे या बाद में 'जान'
सिर्फ इतना करना मेरी क़ब्र उनके पास हो |
मैं एक सूरज हूँ चढ़ता-ढलता रहूँगा,
सरकार कोई भी आये मैं यूँ ही चलता रहूँगा,
मेहनत करके ही कुछ मिलेगा किस्मत से ही नहीं,
राही हूँ मुश्किलों का 'यशु' गिरता-संभलता रहूँगा |
वो देखते रहे हमें अजनबी बनकर,
दिल में समा गए मेरी आशिक़ी बनकर,
छोड़ के चले हैं 'यशु' मौत की आगोश में अब,
कभी मिलते ते हमारी ज़िन्दगी बनकर |
1.यारों की याद में
यारों की याद में हर शाम जी लेते हैं,
ना-ना करते भी एक जाम पी लेते हैं
वो बातें ही छेड़ते हैं दर्द देने वाली ऐसे,
कि नशे में हम उनका नाम ही लेते हैं
ना-ना करते भी एक जाम पी लेते हैं
वो बातें ही छेड़ते हैं दर्द देने वाली ऐसे,
कि नशे में हम उनका नाम ही लेते हैं
कभी-कभी हम खुद को भूल जाते हैं,
वक़्त आने पर होश से काम भी लेते हैं
वक़्त आने पर होश से काम भी लेते हैं
ख़ुदाह जाने ये दोस्ती है कितनी गहरी,
ग़लत होते हुये भी हम ज़ुबान सी लेते हैं
ग़लत होते हुये भी हम ज़ुबान सी लेते हैं
यशु कि जान उनकी जान में है यूं फसी,
उनकी बदज़ुबानी को शान मान जी लेते हैं
उनकी बदज़ुबानी को शान मान जी लेते हैं
2.मुश्किल में इंसान
मुश्किल में इंसान बहुत कुछ कर जाता है,
डर जाता है मगर बहुत कुछ कर जाता है
सामना हो जब भी सांप का नेवले से ,
डट के लड़ता है ना लौटकर घर जाता है
किसी को घेरले घनघोर अंधेरा दिन में,
रौशनी की किरन देख मन में हौंसला भर जाता है
हारता देख सेना को एक जानवर भी,
युद्ध में लाख़ सीने पे वार जर जाता है
पतंगा शान से जीता है चाहे दो घंटे ही,
धूम मचाता यशु खूब चाहे मर जाता है
मुश्किल में इंसान बहुत कुछ कर जाता है,
डर जाता है मगर बहुत कुछ कर जाता है
सामना हो जब भी सांप का नेवले से ,
डट के लड़ता है ना लौटकर घर जाता है
किसी को घेरले घनघोर अंधेरा दिन में,
रौशनी की किरन देख मन में हौंसला भर जाता है
हारता देख सेना को एक जानवर भी,
युद्ध में लाख़ सीने पे वार जर जाता है
पतंगा शान से जीता है चाहे दो घंटे ही,
धूम मचाता यशु खूब चाहे मर जाता है
3.ग़ुनाह
मुझे कई बार लगता है कि मैं ग़ुनाह कर रहा हूँ,
जो अपनी ही ग़ज़ल को पढ़के वाह-वाह कर रहा हूँ
मांगता हूं वही जो मुकद्दर में है नहीं मेरे फिर भी,
मैं जानबूझकर क्यों उसीकी चाह कर रहा हूँ
और जला दिया है मैंने अपने सारे रिश्तों को तभी ,
अब मैं देखकर भी मौत को ना आह कर रहा हूँ
ज़िन्दगी जल्लाद जैसी बन गई है लगे इस तरह,
ना किसी के दर्द की ही अब मैं परवाह कर रहा हूँ
कि जिस दिन से रूठे हैं वो यशु जान से शायर ,
साथ अपने मैं दो और दिलों को तबाह कर रहा हूँ
1.आरती गाओ जगत गुरु की (गीत)
आरती गाओ जगतगुरु की,
त्रिदेव और महाप्रभु की
तेतीस कोटि देवता गायें,
उनका हर दिन मंगल जाये,
दिनचर्या ले नाम शुरू की,
आरती गाओ जगत गुरु की,
त्रिदेव और महाप्रभु की
सभी जीव उसके आधीन,
आसमान और ये ज़मीन,
अनंत,ब्रह्मा ,विशाल लघु की,
आरती गाओ जगतगुरु की,
त्रिदेव और महाप्रभु की
मौत भी है चरणों की दासी,
प्रीत उसी संग लागे साची,
जैसे लागे वर-वधु की,
आरती गाओ जगतगुरु की,
त्रिदेव और महाप्रभु की
वही काल है वही है अमृत,
मन ना होगा तेरा विचलित,
जैसे नैया पार यशु की,
आरती गाओ जगतगुरु की,
त्रिदेव और महाप्रभु की
यशु जान
Reviewed by Yashu Jaan ( Famous Writer & Paranormal Expert )
on
April 09, 2019
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